Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें।
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।
प्रगट Shiv chaisa उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
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त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
In shiv chalisa lyricsl periods including these in which lifetime has grown to be so rapidly that we hardly find the perfect time to pray, Shiva Chalisa arrives as being a blessing for all of us.